kisan andolan 2024
kisan andolan 2024

शुक्रवार को किसान आंदोलन(kisan andolan 2024) के चौथे दिन की समाप्ति पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा है कि वह आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करेगा।यह तब हुआजब प्रदर्शनकारी किसानों को पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर आंसू गैस का सामना करना पड़ा, क्योंकि सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की थी। एसकेएम ने कहा कि उसकी पंजाब इकाई 18 फरवरी को जालंधर में एक बैठक करेगी, और उसके बाद नई दिल्ली में एनसीसी और आम सभा की बैठकें होंगी, जिसमें घटनाक्रम का जायजा लिया जाएगा और भविष्य की कार्रवाई का सुझाव दिया जाएगा।

Kishan Andolan 2024 सरकार और किसान यूनियनों के 15 नेताओं ने चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की. बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी शामिल थे। सूत्र के अनुसार किसानों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून लाया जाना चाहिए और सरकार ने कहा कि एमएसपी पर अभी कानून बनाना संभव नहीं है। किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया है, जिसके चलते पूरे देशमें विरोध प्रदर्शन होंगे और मेनस की परिवहन सेवा भी प्रभावित होनेकी संभावना है। धरने पर बैठे किसान(kisan Andolan 2024) 3 कानूनों के साथ एमएसपी भी लागू करना चाहते हैं।

एमएसपी क्या है?(kisan andolan 2024)

किसानों के लिए एमएसपी सालो से चल रही है। केंद्र सरकार ने किसानों की फसल के लिए न्यूनतम मूल्य रखा है,उदाहरण के लिए अगर बाजार में फसल की कीमत कम होगी,लेकिन केंद्र सरकार एमएसपी के अनुसार ही फसल खरीदेगी। जिससे किसानों को नुकसान से बचाया जा सके।

किसानों की मांग क्या है?)Kisan andolan 2024)

एमएसपी से कम रेट पर फसल खरीदी गई तो सरकार को इसे अवैध घोषित करना चाहिए सरकारी किसान चाहते हैं कि सरकार गारंटी के लिए कानून बनाए

 

 

farmer protest india

केंद्र सरकार ने 17 सितंबर को लोकसभा में कृषि से जुड़े दो
बिल पास कराए। दो बिलों का नाम: कृषि उपज व्यापार और
वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2020
[ The Farmer’s ProduceTrade and Commerce (promotion and Facilitation)

Act, 2020

उद्देश्य एवं सामान्य अर्थ (Objective & General meaning)

  1. Farmer’s Produceकिसान जो फसल उत्पादन करता है लेकिन किसान का मतलब होता है जो कोई भी फसल करता है जैसे फल, सब्जी, दाल, फूल आदि और इसमें डेयरी उत्पाद भी शामिल है | ये सिर्फ गेहूं या चावल की बात नहीं है, किसान की उपज में पशुपालन भी शामिल है |
  2. Trade and Commerce: मान लीजिए किसी व्यक्ति ने किसान से या फिर थोक विक्रेता से आलू 10 रुपये प्रति किलो खरीदा और शहर की मंडी में 20 रुपये प्रति किलो बेचें। बड़ी मंडी से खुदरा वाले दुकानदार ने सब्जी 20 रुपये किलो खरीदें और अपनी दुकान से 30 रुपये प्रति किलो बेचें। दीया ग्राहक को.इसी तरह किसी व्यक्ति ने 30 रुपये प्रति किलो आलू खरीदा और कहीं दूर जगह आलू ज्यादा न हो, जहां 40 रुपये प्रति किलो बेचें। इसी को हम ट्रेडिंग कहते हैं। सामान सस्ता या महँगा एम सेल केआर दिया, ये जो प्रॉफिट मेकिंग का मैकेनिज्म है इसको बोलते हैं|कॉमर्स में वो सारी एक्टिविटी जहां सामान खरीदना या ट्रांसपोर्ट का खर्चा ये सब कॉमर्स में शामिल होता है
  3. Promotion and Facilitation: इसमे व्यापार के माध्यम से आगे बढ़ें, इसे बढ़ावा दें और इसको सुविधा प्रदान करें | किसान बिल से किसानों को अपनी फसल बेचने में मदद मिलेगी और वो अच्छा मुनाफा कमा सके|

मुख्य प्रावधान (Main Provision)

Trade area outside APMC: APMC मतलब कृषि उपज बाजार समिति । जब भारत आज़ाद हुआ उस समय कोई बड़ा शहर नहीं था, कोई सुविधा नहीं थी। किसानों पर इतने सालों से अत्याचार हो रहा था, जमींदारी मुख्य समस्या थी और सरकार इसे रोकने के लिए बहुत प्रयास कर रही थी। विशेषकर बंगाल, केरल में जमींदारी पर किसी तरह नियंत्रण कर लिया गया । किसी तरह जमींदारी पर नियंत्रण कर लिया गया, विशेषकर शहर बंगाल, केरल में। और भी राज्यों में नियंत्रण हुआ कहीं काम तो ज्यादा ।

समस्या यह थी कि साहूकार किसानों से प्रति माह 5% की तरह उच्च ब्याज ले रहा था जो किसानों के लिए बहुत अधिक
थाकिसानों को इस संकट से बचाने के लिए सरकार AMPC लाये।
Intra/Inter State:

इस बिल में किसान अपनी फसल को न केवल एएमपीसी को बल्कि अन्य विकल्प जैसे गोदाम,फैक्ट्री आदि को भी बेच सकते हैं मतलब भारत के अंदर किसी भी राज्य में व्यापार।इसका मतलब केवल एक विशेष राज्य के भीतर ही व्यापार करना है।


Online Trading:
ऑनलाइन ट्रेडिंग हर किसी के जीवन का हिस्सा बन गया है।हम ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किसी भी समय कुछभी खरीद सकते हैं। इससे हमारा काम और जीवन बहुत आसान हो गया है। किसान बिल में कोई भी राज्य व्यापार और वाणिज्य गतिविधि पर कर या शुल्क नहीं लगा सकता है।

Dispute Settlement Mechanism:

किसान बिल में प्रावधान है कि यदि कोई विवाद होगा तो सीधे एसडीएम के पास जाएगा।एसडीएम एक बोर्ड बनाकर समाधान का प्रयास करेगा। बोर्ड में दोनों पक्षों के सदस्यों की संख्या के आधार पर 3 या 4 सदस्य होंगे

 

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